मउसम हे बहुत हरियालि रंगीन
चारो ओर हे माहोल खुस हसिन
किसान झूमे गामे लइ ढोल नगाडा
करें पुजा धरति माताक आजूक दिन
माना बोइ के मनभर फरइना दिन
किसानन गुदा गडना हे सुभ दिन
कुइ कहे पोयाँ रूपना तो कुइ कहे गुदा गड़ना के सुरुवाति हे दिन
हम्मर रितभाँत निरन्तरता हे दहना
पोयाँ रोप के अन्न के देवि अन्नपूर्णा
के हें खुस करना हे अब हर एक बार
हर घरमे सुखसमृद्धि के होबे विस्तार
मुठाभर बोइके नमा अन्न के सुरुवात
जइहें मडकन्नि खाना लइके खेतबार
करि हेँ मिल भूमिपुजा खुदिया हर के
खाइ हें लरका बच्चा दारभात सिध्लाक तेना बनल परसाद
खुस करना हे पानिक दिउँता इन्दर देउ सवरग के हे राज महाराज
काहिक कि धरति पुजा हे गुदा गड्ना मज़ा दिन परत आहे हो आज ।
✍️ अर्जुन कठरिया
पहलमानपुर, कैलाली
