किंचा काँदा के दिन पानी संघे
अब देखो उराइल जाइत आहे
विन बदरिक अकास देखो आज
कतना सुहावन दिखती मन भाइत हे
काहिक कि दिउँता आज पाख भरका
तहनि अंधेरिम खोरे अब जाइत हें !
पितरि देउ दिउँता माता हम्मर अब
हर एक दुख, कस्ट, पिरा लइजाइत हें
सब खेतन में नमा नमा धान के बाली
झुलत लहराइत दिखाइत हे काहिक कि
जल्दि अठैंयाँ दियादिवारी सबके बुलाइत हे !!
पठाइत होइ पितरि दिउँतन खोरेक
आज विदाइक पकवान पकाइत होइ
लइहें खुसिक सन्देस हर एक घर घर
लै फुल माला, मछरि, टिका फाँदा अगेरि
कर, गंगा स्नान करेक आज पठाइत होइ
काहिक कि अब पबनी तिउहार आइत हे !!!
✍️अर्जुन कठरिया
पहलमानपुर, कैलाली


