तुम अपना भाषा छोरके दोसरके भाषा मनकतो ।
तुम अपना पहिरन छोरके दोसरक पहिरन पहिनतो ।
मोहके ऐसन निक नाई लग्ता, तुम काहिक ऐसन करतो ?
तुम अपना धर्म छोरके जन केहका धर्म अपनाई लग्लो ।
तुम अपना दिउंता छोरके जन केहका दिउंता खोजे लग्लो ।
मोहके ऐसन निक नाई लग्ता, तुम काहिक ऐसन करतो ?
तुम अपना पबनी छोरके दोसरके पबनी मनैतो ।
तुम अपना गितबांस छोरके दोसरक गितबांस गैतो ।
मोहके ऐसन निक नाई लग्ता, तुम काहिक ऐसन करतो ?
तुम अपना गहना गुरिया छोरके दोसरके गहना गुरिया पहिनतो ।
तुम अपना ढोल–डफ छोरके दोसरक डिजे बाजा बजैतो ।
मोहके ऐसन निक नाई लग्ता, तुम काहिक ऐसन करतो ?
तुम अपना खानपान छोरके दोसरके खानपान अपनाई लग्लो ।
तुम अपना पुरखन आशिष छोरके जनकेहका मोहनिम परेलग्लो ।
मोहके ऐसन निक नाई लग्ता, तुम काहिक ऐसन करतो ?
तुम अपना आजा बाबान कहल बिसराके जन केहका बात लागे लग्लो ।
तुम अपना घरका दोर आगे छोरके दख्खिन, उत्तर पाछे कराई लग्लो ।
मोहके ऐसन निक नाई लग्ता, तुम काहिक ऐसन करतो ?
सुरेश कठरिया
घोडाघोडी न.पा. ३ वगुलहिया, कैलाली
प्रधानाध्यापक राष्ट्रिय माध्यमिक विद्यालय, खैलाड
