भावना ‘पुष आइल जाड लैके’
अगहन महिना उराईल राम जोहरी करके
पुष महिना आइल चारो घैंन जाड लैके
सबका बेह होईल जोडी एक बनाके
मैं काहिक हुइगिनु अक्केले यि महिनामे
समझ समझके बेचैनी हुईता यि जाडमे
दिलके बात सम्झैया कुई नाई हे तन्हाईमे
केहके समझुं अब मै पुष महिनक रातमे
जैसे तैसे कटा लहमु रात मैं यि पाखमे
माघ लक फसाईक परि कुईक बतामें
सोंचत हौं मनाउँ दाई बाबन बेहके बातमे
बनहें कुई फलनियाँ मोर अब दुल्हनियाँ
जाने कैसन चाल चलनके हुइहें सजनियाँ
सोंच सोंचके रात कटैतुं सुनो ओ धनियाँ
प्यारके मौसम हे बाजा बजैम हो चुनियाँ
अगहन उराईल राम जोहरी करके
पुष महिना आइल चारो घैंन जाड लैके
अर्जुन सिंह कठरिया
पहलमानपुर, कैलाली