भावना– मनमे भावे कुईक खुबसुरती
मनमे भावे कुईक खुबसुरती, कुईक भावे मन्द मुस्कान
कुईक भावे दिल लगी, कुईक भावे झुँठ शान ।
कुईक मनमे माया जागे, कुईक मनमे जागे रे प्यार
कहाँ ती सुरु होईल रे, कहाँ बर्षे रे मायामोह बारम्बार ।।
कुई कहता गुलाव है रे, कुई कहता बहुत बन्ना काँटा
कुई काहिक नाई समझ्ता, प्यारमे जान जानके मरता ।
कुईक लागे माया रे जहर, कुईक लागे रे अमृत बडा प्यार
कुईक लागे बडा धोखा रे, कुईक सवांरे रे सारा जगसंसार ।।
कुईक लगता जिवनदायनी, कुईक लगता मृत्युके व्यापार
कुईक लगता प्रेम रोग, कुईक लागे रे अमुल्य सुखके आधार ।।।
लेखक– कुशुम कठरिया
उदासिपुर, कैलाली