ब्यंगात्मक कबिता ‘बाबा मै फेक नेता बनम्’
सरकारी बजेट खुब दबाके पचैना है ।।
भरके अपना ढेंढ् जोर ती फुलैना है ।
जनता भरिन झुठा अश्वासन देहना है ।
बाबा मोहके फेक नेता बनना है ।।
आँखिमे बिकासके धुर झुँकना है ।।
जनतन एक–आपसमे लडैना है ।
अपना भ्रष्टाचारी कुर्सी बचैना है ।
बाबा मोहके फेक नेता बनना है ।।
चाकडी आउ लम्पसारबाद बढैना है ।
देशमे मफियाराज के बिकास करना है ।
गरिब सिधा–साधा जनतन लुटना है ।।
बाबा मोहके फेक नेता बनना है ।।
आपदा ओहके अबसर बनैना है ।।
घपला के उप्पर घपला करना है ।।
अपना डेहरी टनाटन् भरना है ।
बाबा मोहके फेक नेता बनना है ।
फटर फटर चप्पलमे राजधानी जैना है ।
जनतन बिश्वास बलि दै मन्त्री बनना है ।।
एयरकन्डिसन गाडीमे शान ती आइना है ।
बाबा मोहके फेक बडका नेता बनना है ।।
आउ अब यी छबि ओहके सुधारी…
शिक्षा के अबिरल मुहान खुलैना है ।
समाज महती अन्धबिश्वास हटैना है ।।
शिक्षित समाजके निर्माण करना है ।
बाबा मोहके फेक नेता बनना है ।।
समाज ओहके एकजुट बनैना है ।
हरगाउँमे बिकासके लहर पुगैना है ।।
देश समृद्घिके डगरमे लैजिना है ।
बाबा मोहके फेक नेता बनना है ।।
हर गरिब तिर स्वास्थ्य सुबिधा पुगैना है ।
हर छुपडीमे बिजुली बत्ती पजरना है ।।
रोजगारीमे सबका समान पहुँच करैना है ।
बाबा मोहके फेक नेता बनना है ।।
राजनिती ओहके समाज सेवा बनैना है ।
नेतान प्रति जनतान बिश्वास जगैना है ।।
बचल खुचल नेतान साख ओहके बचैना है ।
हाँ, बाबा मोहके फेक नेता बनना है ।।
लेखकः– राजेन्द्र कठरिया
पहलमानपुर, शिसैया, कैलाली

