काठमाडौं, ८ साउन (कठरिया भाषा) ।। ज्येष्ठ नागरिक उप्परके देखभार आउ पालनपोषण ओहके लरकन बाध्यकारी जिम्मेवारी बनैति सङ्घीय संसदति ज्येष्ठ नागरिक ऐन संशोधन विधेयक पारित करले आहे । राष्ट्रिय सभाती २०७५ फागुन मे पारित हाेइल ई विधेयक प्रतिनिधि सभाति बुधबार पारित हाेइल आहे । पारित विधेयकके सन्देश अब राष्ट्रिय सभामे जइना आहे ।
प्रतिनिधि सभाती हाेइल संशोधन स्वीकार हुइलेति विधेयक प्रमाणित आउ प्रमाणीकरणके प्रक्रिया मे जाई । उप्परके सदनति संशोधन अस्वीकार हुइलेति विधेयक संयुक्त सभा मे पेस हाेई । महिला, बालबालिका तथा ज्येष्ठ नागरिकमन्त्री उमा रेग्मीके प्रस्ताव मे विधेयक पारित हाेइल आहे । पारित विधेयकति ज्येष्ठ नागरिकन तहिन लरकन जिम्मेवारी बाध्यकारी बनाइल आहे ।
लरकनति जिम्मेवारी पूरा नाई करलेति पुरखाैली सम्पत्तिके अधिकार खतम करना, स्थानीय तहती देखभरके जिम्मेवारी लेहना आउ देखभार करना नातपाँतन या हकवालान सम्पत्ति हस्तान्तरणके व्यवस्था विधेयकति हाेइल आहे । स्थानीय तहती देखभार करल अवस्था मे सम्पत्ति स्वामित्व स्थानीय सरकार मातहत मे फेक जाई सकना व्यवस्था करल आहे ।
हकवाला आउ नातपाँत ती देखभार नाई करलेति ज्येष्ठ नागरिकके संरक्षणके जिम्मेवारी स्थानीय तह ओहके देहल आहे । पालनपोषण, देखभार, शिक्षादीक्षा आउ अभिभावकत्व नाई पाइल बालबच्चन भर दाईबाबान पालनपोषण मे स्थानीय सरकारति बाध्य करे नाई मिलि ।
पारित विधेयक मे स्थानीय तहती ज्येष्ठ नागरिक के परिवार के सदस्य, नातपाँत या हकवालाति पालनपोषण आउ देखभार नाई करल या पालनपोषण आउ देखभार करैया अउरे हकवाला या नातेदार नाहाेके अलपत्र अवस्था मे रहल ज्येष्ठ नागरिक भरिन केन्द्र मे धरके पालनपोषण आउ देखभार करना व्यवस्था मिलाइक परना कहिके स्पष्ट उल्लेख करल आहे ।
अइसन पालनपोषण आउ देखभार नाइ करल या अलपत्र अवस्था मे रहल ज्येष्ठ नागरिक के जायजेथा या अंशभाग रहल मे स्थानीय तहती अपना स्वामित्व मे लाके उहि ज्येष्ठ नागरिक के हकहित के तहिन परिचालन करना व्यवस्था मिलाइल आहे । जेष्ठ नागरिक भरिन सुरक्षा, देखभार आउ पालनपाेषण ओहके मध्यनजर करके संसारके आउर देश बहुत पहिले इ सम्बन्ध मे कानुन बना सिकले आहें ।
जस्ते कि नेपालके सबति लिग्घेक पडाेसी देश भारत मे भारतीय संविधान के अनुसार हिन्दू उत्तरधिकार अधिनियम २००५ के अनुसार कुइ फेक् वयस्क युवा अपना दाइ बाबा के इच्छानुसार घरमें रहि सकत हे मुल सम्पतिक अधिकार नाइ हे जब तक की दाइ बाबा जिबित आहें । एक अउरे हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम १९७५ के अनुसार लरका वयस्क युवा तभि सम्पतिक हकदार हैं जब उइने अपना बुढाइल दाइ बाबाक सेवा करिहेँ नहित ओइन अपना दाइ बाबाक पैतृक सम्पति ति बेदखल कर सकत हे ।
